नारायणी सेना

भारतीय जीवन शैली पर पश्चिमी सभ्यता का अंधानुकरण

भारतीय जीवन शैली पर पश्चिमी सभ्यता का अंधानुकरण

भारतीय संस्कृति विश्व की सबसे प्राचीन और समृद्ध संस्कृतियों में से एक है। इसकी जड़ें धर्म, आध्यात्म, परिवार, नैतिकता और परंपराओं में गहराई से जुड़ी हैं। परंतु आधुनिकता की दौड़ में भारतीय समाज पर पश्चिमी सभ्यता का प्रभाव तेजी से बढ़ता जा रहा है। अंधानुकरण के इस दौर ने भारतीय जीवन शैली में कई सकारात्मक और नकारात्मक बदलाव ला दिए हैं।

पश्चिमी सभ्यता ने भारतीय समाज को वैज्ञानिक दृष्टिकोण, व्यक्तिगत स्वतंत्रता, लैंगिक समानता और समय की महत्ता जैसे कई अच्छे गुण सिखाए हैं। शिक्षा, तकनीक और चिकित्सा के क्षेत्र में पश्चिम से प्रेरणा लेकर भारत ने भी महत्वपूर्ण प्रगति की है। आज का युवा वर्ग आत्मनिर्भरता, वैश्विक सोच और करियर के प्रति जागरूकता जैसी अवधारणाओं को अपनाकर अपने जीवन को बेहतर बना रहा है।

किन्तु पश्चिमी सभ्यता का अंधानुकरण कई बार बिना सोच-विचार के किया जाता है, जिससे भारतीय मूल्यों और पारंपरिक जीवनशैली को क्षति पहुँचती है। पारिवारिक संबंधों में दूरियाँ बढ़ रही हैं, वृद्धजनों का सम्मान कम हो रहा है, तथा भौतिकवाद का प्रभाव नैतिक मूल्यों को पीछे धकेल रहा है। पश्चिमी जीवनशैली में दिखावा, व्यक्तिगत स्वार्थ और तात्कालिक सुख को प्राथमिकता दी जाती है, और जब यही आदतें भारतीय समाज में बिना आत्मनिरीक्षण के प्रवेश करती हैं, तो सामाजिक संतुलन बिगड़ने लगता है।

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